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Friday, May 4, 2018

मेरा मन इक ख़्वाब-नगर है

Image may contain: one or more people, flower, plant, outdoor and nature


मेरा मन इक ख़्वाब-नगर है
मेरे मन की गलियों, बाज़ारों और चौराहों में
लफ़्ज़ों, रंगों और ख़ुशबुओं की
हल्की हल्की बारिश होती रहती है

मेरा मन इक ख़्वाब-नगर है
मेरे मन में
चाह के चश्मे
अम्न की नहरें
आस के दरिया
प्यार समुंदर
हर सू बहते रहते हैं
जिन में नहा कर
अपने भी बेगाने भी
दानाई (बुद्धिमत्ता )की धूप में लेटे
सेहर-ज़दा (वशी-भूत) से रहते हैं

मेरा मन इक ख़्वाब-नगर है
मेरे मन में
दरवेशों का डेरा भी है
इस डेरे पर
शाएर, सूफ़ी, पापी, दाना सब आते हैं
कुछ सपने वो ले जाते हैं
कुछ सपने वो दे जाते हैं
इन सपनों की धरती से जब
ग़ज़लों, नज़्मों, गीतों के कुछ
फूल खुलीं तो बरसों फिर वो
ख़्वाब-नगर को महकाते हैं

मेरा मन इक ख़्वाब-नगर है
मेरे मन की गलियों, बाज़ारों और चौराहों पर
लफ़्ज़ों, रंगों और ख़ुशबुओं की
हल्की हल्की बारिश होती रहती है

~ ख़ालिद सुहैल


  May 4, 2018 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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