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Sunday, September 22, 2019

उस शख़्स के आने के

 
इक ख़्वाब की आहट से यूँ गूँज उठीं गलियाँ
अम्बर पे खिले तारे बाग़ों में हँसें कलियाँ
सागर की ख़मोशी में इक मौज ने करवट ली
और चाँद झुका उस पर
फिर बाम हुए रौशन
खिड़की के किवाड़ों पर साया सा कोई लर्ज़ा
और तेज़ हुई धड़कन

फिर टूट गई चूड़ी, उजड़ने लगे मंज़र
इक दस्त-ए-हिनाई की दस्तक से खुला दिल में
इक रंग का दरवाज़ा
ख़ुशबू सी अजब महकी
कोयल की तरह कोई बे-नाम तमन्ना सी
फिर दूर कहीं चहकी
फिर दिल की सुराही में इक फूल खिला ताज़ा
जुगनू भी चले आए सुन शाम का आवाज़ा
और भँवरे हँसे मिल कर

हर एक सितारे की आँखों में इशारे हैं
उस शख़्स के आने के
ऐ वक़्त ज़रा थम जा
आसार ये सारे हैं उस शख़्स के आने के

~ अमजद इस्लाम अमजद


 Sep 19, 2019 | e-kavya.blogspot.com
 Submitted by: Ashok Singh

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