इक ख़्वाब की आहट से यूँ गूँज उठीं गलियाँ
अम्बर पे खिले तारे बाग़ों में हँसें कलियाँ
सागर की ख़मोशी में इक मौज ने करवट ली
और चाँद झुका उस पर
फिर बाम हुए रौशन
खिड़की के किवाड़ों पर साया सा कोई लर्ज़ा
और तेज़ हुई धड़कन
फिर टूट गई चूड़ी, उजड़ने लगे मंज़र
इक दस्त-ए-हिनाई की दस्तक से खुला दिल में
इक रंग का दरवाज़ा
ख़ुशबू सी अजब महकी
कोयल की तरह कोई बे-नाम तमन्ना सी
फिर दूर कहीं चहकी
फिर दिल की सुराही में इक फूल खिला ताज़ा
जुगनू भी चले आए सुन शाम का आवाज़ा
और भँवरे हँसे मिल कर
हर एक सितारे की आँखों में इशारे हैं
उस शख़्स के आने के
ऐ वक़्त ज़रा थम जा
आसार ये सारे हैं उस शख़्स के आने के
~ अमजद इस्लाम अमजद
अम्बर पे खिले तारे बाग़ों में हँसें कलियाँ
सागर की ख़मोशी में इक मौज ने करवट ली
और चाँद झुका उस पर
फिर बाम हुए रौशन
खिड़की के किवाड़ों पर साया सा कोई लर्ज़ा
और तेज़ हुई धड़कन
फिर टूट गई चूड़ी, उजड़ने लगे मंज़र
इक दस्त-ए-हिनाई की दस्तक से खुला दिल में
इक रंग का दरवाज़ा
ख़ुशबू सी अजब महकी
कोयल की तरह कोई बे-नाम तमन्ना सी
फिर दूर कहीं चहकी
फिर दिल की सुराही में इक फूल खिला ताज़ा
जुगनू भी चले आए सुन शाम का आवाज़ा
और भँवरे हँसे मिल कर
हर एक सितारे की आँखों में इशारे हैं
उस शख़्स के आने के
ऐ वक़्त ज़रा थम जा
आसार ये सारे हैं उस शख़्स के आने के
~ अमजद इस्लाम अमजद
Sep 19, 2019 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

No comments:
Post a Comment