कितना कोमल, कितना वत्सल,
रे! जननी का वह अंतस्तल,
जिसका यह शीतल करुणा जल,
बहता रहता युग-युग अविरल
~ गोपाल सिंह नेपाली
Jan 17, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
रे! जननी का वह अंतस्तल,
जिसका यह शीतल करुणा जल,
बहता रहता युग-युग अविरल
~ गोपाल सिंह नेपाली
Jan 17, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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