यें तीरगी, यें अब्तरी, यें निकहतें, यें मस्तियाँ
कि खुल पड़ी हो जैसे, वो जुल्फे-अंबरीं कहीं !
*तीरगी=अन्धकार; अब्तरी=अस्त-व्यस्तता; निकहतें=खुशबू; अंबरीं=ख़ुशबूदार
~ 'नामालूम'
Jan 20, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
कि खुल पड़ी हो जैसे, वो जुल्फे-अंबरीं कहीं !
*तीरगी=अन्धकार; अब्तरी=अस्त-व्यस्तता; निकहतें=खुशबू; अंबरीं=ख़ुशबूदार
~ 'नामालूम'
Jan 20, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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