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Saturday, January 24, 2015

यें तीरगी, यें अब्तरी

यें तीरगी, यें अब्तरी, यें निकहतें, यें मस्तियाँ
कि खुल पड़ी हो जैसे, वो जुल्फे-अंबरीं कहीं !

*तीरगी=अन्धकार; अब्तरी=अस्त-व्यस्तता; निकहतें=खुशबू; अंबरीं=ख़ुशबूदार

~ 'नामालूम'


   Jan 20, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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