जब तक तेरी निगाह ने तौफ़ीक़ दी मुझे
मैं तेरी ज़ुल्फ बन के सँवरता चला गया
*तौफ़ीक़=सामर्थ्य, कृपा
Sep 2, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
मैं तेरी ज़ुल्फ बन के सँवरता चला गया
*तौफ़ीक़=सामर्थ्य, कृपा
~ 'अदम'
Sep 2, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment