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Tuesday, September 1, 2015

बन गए हुक्काम वे सब

बन गए हुक्काम वे सब जो कि बे - ईमान थे,
हो गए लीडर की दुम जो कल तलक दरबान थे,
मेरे मालिक! और तो सब हैं सुखी तेरे यहाँ,
सिर्फ़ वे ही हैं दुखी, जो कुछ न बस, इंसान थे।

~ नीरज

  Aug 31, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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