बन गए हुक्काम वे सब जो कि बे - ईमान थे,
हो गए लीडर की दुम जो कल तलक दरबान थे,
मेरे मालिक! और तो सब हैं सुखी तेरे यहाँ,
सिर्फ़ वे ही हैं दुखी, जो कुछ न बस, इंसान थे।
Aug 31, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
हो गए लीडर की दुम जो कल तलक दरबान थे,
मेरे मालिक! और तो सब हैं सुखी तेरे यहाँ,
सिर्फ़ वे ही हैं दुखी, जो कुछ न बस, इंसान थे।
~ नीरज
Aug 31, 2015| e-kavya.blogspot.com
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