उम्र जलवों में बसर हो ज़रूरी तो नहीं
हर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
*शब-ए-ग़म = दुःख भरी रात
~ ख़ामोश दहेलवी
Sep 26, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
हर शब-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
*शब-ए-ग़म = दुःख भरी रात
~ ख़ामोश दहेलवी
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