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Saturday, September 12, 2015

जब आँचल रात का लहराए



जब आँचल रात का लहराए, और सारा आलम सो जाए,
तुम मुझसे मिलने, शमा जलाकर, 

ताजमहल में आ जाना.

यह ताजमहल ज़ो चाहत की,आँखों का सुनहरा मोती है,
हर रात जहाँ दो रूहों की, ख़ामोशी ज़िंदा होती है,
इस ताज के साए में आकर तुम,गीत वफ़ा का दोहराना.
तुम मुझसे मिलने, शमा जलाकर, 

ताजमहल में आ जाना,

तन्हाई है जागी-जागी सी, माहौल है सोया-सोया हुआ,
जैसे के तुम्हारे ख़्वाबों में,खुद ताजमहल हो ख़ोया हुआ,
हो, ताजमहल का ख़्वाब तुम्ही,यह राज़ ना मैने पहचाना.
तुम मुझसे मिलने, शमा जलाकर,

ताजमहल में आ जाना,

जो मौत मुहब्बत में आए,वो जान से बढ़कर प्यारी है,
दो प्यार भरे दिल रोशन हैं,वो रात बहुत अंधियारी है,
तुम रात के इस अंधियारे में,बस एक झलक दिखला जाना,
तुम मुझसे मिलने, शमा जलाकर,

ताजमहल में आ जाना

~ प्रेम वरबारतोनी


  Sep 12, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 

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