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Tuesday, September 1, 2015

खुश हूँ कि ज़िंदगी ने ..!

खुश हूँ कि ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया
मुझको सुपुर्दे - गर्दिशे - अय्याम कर दिया
किस बेतकल्लुफ़ी से फ़साना - निगार ने
आग़ाज़ को बिगाड़ के अंजाम कर दिया।

*सुपुर्दे-गर्दिशे-अय्याम=संसार चक्र के हवाले; फ़साना - निगार=कहानी कार; आग़ाज़=शुरुआत को; अंजाम=अंत

~ अदम

  Sep 1, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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