अंगड़ाई भी वो लेने न पाये उठा के हाथ
देखा तो मुझको छोड़ दिये मुस्कुरा के हाथ
बे-साख़्ता निगाहें जो आपस में मिल गई
क्या मुँह पर उस ने रख लिए आँखें चुरा के हाथ
~ निज़ाम रामपुरी
Sep 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
देखा तो मुझको छोड़ दिये मुस्कुरा के हाथ
बे-साख़्ता निगाहें जो आपस में मिल गई
क्या मुँह पर उस ने रख लिए आँखें चुरा के हाथ
~ निज़ाम रामपुरी
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