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Wednesday, September 9, 2015

अंगड़ाई भी वो लेने न पाये

अंगड़ाई भी वो लेने न पाये उठा के हाथ
देखा तो मुझको छोड़ दिये मुस्कुरा के हाथ

बे-साख़्ता निगाहें जो आपस में मिल गई
क्या मुँह पर उस ने रख लिए आँखें चुरा के हाथ

~ निज़ाम रामपुरी

  Sep 9, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 

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