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Thursday, September 10, 2015

बेवफ़ा गर कहूँ - तो कहते हैं



बेवफ़ा गर कहूँ - तो कहते हैं
क्या हर इक से वफ़ा करे कोई

जाये गर जाँ तो सौ हैं तदबीरें
जाये गर दिल तो क्या करे कोई
*तदबीरें =सुलझाव

कोई अपनी ख़ता तो हो मालूम
ऊज्र किस बात का करे कोई

*ऊज्र=सफ़ाई

तुम से बे-रहम पर न दिल आए
और आए तो क्या करे कोई

सैकड़ों बातें कह के कहते हैं
फिर हमें क्यूँ ख़फ़ा करे कोई

कोई कब तक न दे जवाब तुम्हें
चुपका कब तक सुना करे कोई

शिकवा उस बुत का हर किसी से 'निज़ाम'
उस से कह दे ख़ुदा करे, कोई।

~ निज़ाम रामपुरी


  Sep 10, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 

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