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Saturday, February 10, 2018

सौ बातों की एक बात है

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सौ बातों की एक बात है।

रोज़ सवेरे रवि आता है
दुनिया को दिन दे जाता है
लेकिन जब तम इसे निगलता
होती जग में किसे विकलता
सुख के साथी तो अनगिन हैं
लेकिन दुःख के बहुत कठिन हैं।



सौ बातो की एक बात है।

अनगिन फूल नित्य खिलते हैं
हम इनसे हँस-हँस मिलते हैं
लेकिन जब ये मुरझाते हैं
तब हम इन तक कब जाते हैं
जब तक हममे साँस रहेगी
तब तक दुनिया पास रहेगी।

सौ बातों की एक बात है।

सुन्दरता पर सब मरते हैं
किन्तु असुंदर से डरते हैं
जग इन दोनों का उत्तर है
जीवन इस सबके ऊपर है
सबके जीवन में क्रंदन है
लेकिन अपना-अपना मन है।

सौ बातो की एक बात है।

~ रमानाथ अवस्थी

  Feb 10, 2018 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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