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Friday, July 12, 2019

तू अगर सैर को निकले तो

Image may contain: 1 person, standing and outdoor

तू अगर सैर को निकले तो उजाला हो जाए

सुरमई शाल का डाले हुए माथे पे सिरा
बाल खोले हुए संदल का लगाए टीका
यूँ जो हँसती हुई तू सुब्ह को आ जाए ज़रा
बाग़-ए-कश्मीर के फूलों को अचम्भा हो जाए
तू अगर सैर को निकले तो उजाला हो जाए

ले के अंगड़ाई जो तू घाट पे बदले पहलू
चलता फिरता नज़र आ जाए नदी पर जादू
झुक के मुँह अपना जो गंगा में ज़रा देख ले तू
निथरे पानी का मज़ा और भी मीठा हो जाए
तू अगर सैर को निकले तो उजाला हो जाए

सुब्ह के रंग ने बख़्शा है वो मुखड़ा तुझ को
शाम की छाँव ने सौंपा है वो जोड़ा तुझ को
कि कभी पास से देखे जो हिमाला तुझ को
इस तिरे क़द की क़सम और भी ऊँचा हो जाए
तू अगर सैर को निकले तो उजाला हो जाए

~ जोश मलीहाबादी

 Jul 12, 2019 | e-kavya.blogspot.com
 Submitted by: Ashok Singh

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