Disable Copy Text

Sunday, January 26, 2020

छब्बीस जनवरी है

Image may contain: outdoor



गुलशन में रुत नई है
हर सम्त बे-ख़ुदी है
हर गुल पे ताज़गी है
मसरूर ज़िंदगी है
सरचश्मा-ए-ख़ुशी है
छब्बीस जनवरी है

*सिम्त=तरफ; मसरूर=आनंदित; सरचश्मा-ए-ख़ुशी=ख़ुशियों की बहार

हर सू ख़ुशी है छाई
सब ने मुराद पाई
फिर जनवरी ये आई
यौम-ए-सुरूर लाई
साअ'त मुराद की है
छब्बीस जनवरी है

*हर सू=चारों तरफ; यौम=दिन; सा’अत=क्षण

आँखों में रंग-ए-नौ है
बातिल से जंग-ए-नौ है
साज़ और चंग-ए-नौ है
हर दर पे संग-ए-नौ है
पुर-कैफ़ ज़िंदगी है
छब्बीस जनवरी है

*रंग-ए-नौ=नया रंग; बातिल=बुराई; पुर-कैफ़=उन्माद से भरपूर

मैं गुनगुना रहा हूँ
मस्ती में गा रहा हूँ
ख़ुशियाँ मना रहा हूँ
आलम पे छा रहा हूँ
दिल महव-ए-बे-ख़ुदी है
छब्बीस जनवरी है

*महव-ए-बे-ख़ुदी=ख़ुद को भूला हुआ

हिन्दोस्तान ख़ुश है
हर पासबान ख़ुश है
हर नौ-जवान ख़ुश है
सारा जहान ख़ुश है
एक जोश-ए-सरमदी है
छब्बीस जनवरी है

*पासबान=रक्षक; जोश-ए-सरमदी=उल्लास

~ कँवल डिबाइवी

 Jan 26, 2020 | e-kavya.blogspot.com
 Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment