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Sunday, October 29, 2017
जिधर के हो उधर के हो रहो
जिधर के हो उधर के हो रहो दिल से तो बेहतर है
कि लोटा बे-तली का हो तो टोंटी टूट जाती है
~ मन्नान बिजनोरी
Oct 29, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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