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Sunday, November 5, 2017

तुम कनक किरन के अंतराल में

Image may contain: mountain, sky, cloud, outdoor and nature

तुम कनक किरन के अंतराल में
लुक छिप कर चलते हो क्यों ?

नत मस्तक गर्व वहन करते
यौवन के घन रस कन झरते
हे लाज भरे सौंदर्य बता दो
मौन बने रहते हो क्यो?

अधरों के मधुर कगारों में
कल कल ध्वनि की गुंजारों में
मधु सरिता सी यह हंसी तरल
अपनी पीते रहते हो क्यों?

बेला विभ्रम की बीत चली
रजनीगंधा की कली खिली
अब सांध्य मलय आकुलित दुकूल
कलित हो यों छिपते हो क्यों?

~ जयशंकर प्रसाद


  Nov 3, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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