किस ओर मैं, किस ओर मैं!
है एक ओर असित निशा,
है एक ओर अरुण दिशा,
पर आज स्वप्नों में फँसा, यह भी नहीं मैं जानता
किस ओर मैं, किस ओर मैं!
है एक ओर अगम्य जल,
है एक ओर सुरम्य थल,
पर आज लहरों से ग्रसा, यह भी नहीं मैं जानता
किस ओर मैं, किस ओर मैं!
है हार ऐक तरफ पड़ी,
है जीत ऐक तरफ खड़ी,
संघर्ष-जीवन में धँसा, यह भी नहीं मैं जानता।
किस ओर मैं, किस ओर मैं!
~ हरिवंशराय बच्चन
है एक ओर असित निशा,
है एक ओर अरुण दिशा,
पर आज स्वप्नों में फँसा, यह भी नहीं मैं जानता
किस ओर मैं, किस ओर मैं!
है एक ओर अगम्य जल,
है एक ओर सुरम्य थल,
पर आज लहरों से ग्रसा, यह भी नहीं मैं जानता
किस ओर मैं, किस ओर मैं!
है हार ऐक तरफ पड़ी,
है जीत ऐक तरफ खड़ी,
संघर्ष-जीवन में धँसा, यह भी नहीं मैं जानता।
किस ओर मैं, किस ओर मैं!
~ हरिवंशराय बच्चन
Aug 24, 2019 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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