है रौशन हक़ीक़त फ़साना हमारा
नई ज़िंदगी बन के बिखरेगा हर सू
नई रौशनी का तराना हमारा
नया आने वाला ज़माना हमारा
पुराने चराग़ों के मद्धम उजालो
हमारे ही हाथों सजेगी ये महफ़िल
हमें सिर्फ़ बच्चा समझ कर न टालो
नया आने वाला ज़माना हमारा
तुम्हारी बुज़ुर्गी का है पास हम को
मगर इस नए दौर की रौशनी में
है अपने फ़राएज़ का एहसास हम को
नया आने वाला ज़माना हमारा
*पास=लिहाज़; फ़राएज़=फ़र्ज़(बहुवचन)
ये दौर-ए-शबाब बहार-ए-ज़मीं है
तुम्हारा ज़माना तो जैसा रहा हो
नया आने वाला ज़माना हसीं है
नया आने वाला ज़माना हमारा
~ सलाम मछलीशहरी
Aug 11, 2019 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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