देवता है कोई हम-में, न फरिश्ता कोई
छू के मत देखना, हर रंग उतर जाता है।
मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी, वरना
आदमी चन्द मुलाक़ातों में मर जाता है।।
छू के मत देखना, हर रंग उतर जाता है।
मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी, वरना
आदमी चन्द मुलाक़ातों में मर जाता है।।
~ निदा फाज़ली
Feb 19, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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