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Saturday, February 21, 2015

देवता है कोई हम-में

देवता है कोई हम-में, न फरिश्ता कोई
छू के मत देखना, हर रंग उतर जाता है।

मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी, वरना
आदमी चन्द मुलाक़ातों में मर जाता है।।

~ निदा फाज़ली

   Feb 19, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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