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Friday, February 13, 2015

मुझे दे के मय मेरे साक़िया



मुझे दे के मय मेरे साक़िया, मेरी तिश्नगी को हवा न दे
मेरी प्यास पर भी तो कर नज़र, मुझे मयकशी की सज़ा न दे
*तिश्नगी=प्यास; मयकशी=मद्य-पान

मेरा साथ ऐ मेरे हमसफ़र नहीं चाहता है तो जाम दे
मगर इस तरह सर-ए-रहगुज़र मुझे हर कदम पे सदा न दे
*सर-ए-रहगुज़र=रास्ते में; सदा=पुकार 


मेरा ग़म न कर मेरे चारागर तेरी चाराजोई बजा मगर
मेरा दर्द है मेरी ज़िन्दगी मुझे दर्द-ए-दिल की दवा न दे
*चारागर=चिकित्सक; चाराजोई=फरियाद; बजा=उचित

मैं वहां हूँ अब मेरे नासेहा कि जहाँ खुशी का गुज़र नहीं
मेरा ग़म हदों से गुज़र गया मुझे अब खुशी की दुआ न दे
*नासेहा=धर्मोपदेशक

वो गिराएं शौक़ से बिजलियाँ ये सितम करम है सितम नहीं
के वो 'तर्ज़' बर्क-ए-ज़फ़ा नहीं जो चमक ने नूर-ए-वफ़ा न दे
*ज़फ़ा=बेवफ़ाई; नूर=प्रकाश, आभा; वफ़ा=निष्ठा

~ गणेश बिहारी 'तर्ज़'
   Feb 9, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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