मेरी ज़िन्दगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िन्दगी का अलम नहीं
जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ां बहार से कम नहीं
*अलम=दुख; खिज़ा=पतझर
~ शकील बँदायूनी
May 13, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ां बहार से कम नहीं
*अलम=दुख; खिज़ा=पतझर
~ शकील बँदायूनी
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