
गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
मैं इसे शोहरत कहूँ या अपनी रूसवाई कहूँ
मुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़साने गए
वहशतें कुछ इस तरह अपना मुक़द्दर बन गईं
हम जहाँ पहुँचे हमारे साथ वीराने गए
*वहशतें=पागलपन
यूँ तो मेरी रग-ए-जाँ से भी थे नज़दीक-तर
आँसुओं की धुँध में लेकिन न पहचाने गए
*रग-ए-जाँ=गले की नस; नज़दीक-तर=करीबी
अब भी उन यादों की ख़ुश-बू जे़हन में महफ़ूज है
बार-हा हम जिन से गुलज़ारों को महकाने गए
*महफ़ूज=सुरक्षित; बार-हा=बार बार
क्या क़यामत है के 'ख़ातिर' कुश्ता-ए-शब थे भी हम
सुब्ह भी आई तो मुजरिम हम ही गर्दाने गए
*कुश्ता-ए-शब=क़त्ल के लिए चुने गये ; गर्दाने=कबूलना
~ ख़ातिर ग़ज़नवी
May 16, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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