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Thursday, June 25, 2015

अब न वो दर्द, न वो दिल,

अब न वो दर्द, न वो दिल, न वो दीवाने हैं
अब न वो साज, न वो सोज, न वो गाने हैं
साकी! अब भी यहां तू किसके लिए बैठा है
अब न वो जाम, न वो मय, न वो पैमाने हैं

~ गोपाल दास 'नीरज'

   Jun 25, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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