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Tuesday, June 30, 2015

दिलों में कितनी चाहत थी

दिलों में कितनी चाहत थी हमें कहना नहीं आया
सितम तो खूबसूरत था हमें सहना नहीं आया
वो बीते कल की बातें आज दोहराने से क्या हासिल
सनम दरिया थे हम दोनों, मगर बहना नहीं आया।

~ दिनेश रघुवंशी

   Jun 30, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Submitted by: Ashok Singh

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