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Wednesday, June 10, 2015

ये बता दे मुझे ज़िन्दगी




ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
प्यार की राह के हमसफ़र
किस तरह बन गये अजनबी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
फूल क्यूँ सारे मुरझा गये
किस लिये बुझ गई चाँदनी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

कल जो बाहों में थी
और निगाहों में थी
अब वो गर्मी कहाँ खो गई
न वो अंदाज़ है
न वो आवाज़ है
अब वो नर्मी कहाँ खो गई
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

बेवफ़ा तुम नहीं
बेवफ़ा हम नहीं
फिर वो जज़्बात क्यों सो गये
प्यार तुम को भी है
प्यार हम को भी है
फ़ासले फिर ये क्यों हो गये
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

~ जावेद अख़्तर

  Jun 10, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh


Nicely rendered by Chitra and Jagjit:
Saath Saath - 1982
https://www.youtube.com/watch?v=tl2yyeel9_c

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