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Tuesday, June 9, 2015

आरज़ूओं के ख़्वाब क्या देंगे

आरज़ूओं के ख़्वाब क्या देंगे
ख़ूबसूरत सराब क्या देंगे
कुछ किया ही नहीं जवानी में
हश्र के दिन हिसाब क्या देंगे?
जीने वाले तो ख़ैर बेबस हैं,
मरने वाले हिसाब क्या देंगे?


* सराब=मरीचिका;
  हश्र=ईसाइयों, मुसलमानों आदि के मत से सृष्टि का वह अंतिम दिन, जब सभी
  मृत व्यक्ति कब्रों से निकलकर ईश्वर के सामने उपस्थित होंगे और वहाँ उनके
  जीवन-काल के कर्मों का विचार तथा निर्णय होगा।

~ अदम

  Jun 09, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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