आरज़ूओं के ख़्वाब क्या देंगे
ख़ूबसूरत सराब क्या देंगे
कुछ किया ही नहीं जवानी में
हश्र के दिन हिसाब क्या देंगे?
जीने वाले तो ख़ैर बेबस हैं,
मरने वाले हिसाब क्या देंगे?
Jun 09, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
ख़ूबसूरत सराब क्या देंगे
कुछ किया ही नहीं जवानी में
हश्र के दिन हिसाब क्या देंगे?
जीने वाले तो ख़ैर बेबस हैं,
मरने वाले हिसाब क्या देंगे?
* सराब=मरीचिका;
हश्र=ईसाइयों, मुसलमानों आदि के मत से सृष्टि का वह अंतिम दिन, जब सभी
मृत व्यक्ति कब्रों से निकलकर ईश्वर के सामने उपस्थित होंगे और वहाँ उनके
जीवन-काल के कर्मों का विचार तथा निर्णय होगा।
~ अदम
हश्र=ईसाइयों, मुसलमानों आदि के मत से सृष्टि का वह अंतिम दिन, जब सभी
मृत व्यक्ति कब्रों से निकलकर ईश्वर के सामने उपस्थित होंगे और वहाँ उनके
जीवन-काल के कर्मों का विचार तथा निर्णय होगा।
~ अदम
Jun 09, 2015| e-kavya.blogspot.com
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