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Friday, July 3, 2015

भुला दो रंज की बातों में क्या है



भुला दो रंज की बातों में क्या है
इधर देखो मेरी आँखों में क्या है
*रंज=मनमुटाव, शत्रुता

बहुत तारीक़ दिन है फिर भी देखो
उजाला चाँदनी रातों में क्या है
*तारीक़=अँधेरा


नहीं पाती जिसे बेदार नज़रें
ख़ुदाया ये मेरे ख़्वाबों में क्या है
*बेदार=जागती हुयी

ये क्या ढूँढे चली जाती है दुनिया
तमाशा सा गली कूचों में क्या है

है वहशत सी ये हर चेहरे पे कैसी
न जाने सहमा सा नज़रों में क्या है

ये इक हैज़ान सा दरिया में क्यों है
ये कुछ सामान सा मौजों में क्या है
*हैज़ान=आवेश, जल्दबाज़ी

ज़रा सा बल है इक ज़ुल्फ़ों का उसकी
वगरना ज़ोर ज़ंजीरों में क्या है

है ख़ामयाज़े सुरूर-ए-आरज़ू के
निशात-ओ-ग़म कहो नामों में क्या है
*ख़ामयाज़े=बुरे काम के परिणाम); सुरूर-ए-आरज़ू=चाहत का नशा; निशात-ओ-ग़म=सुख-दुःख

तुम्हारी देर-आमेज़ी भी देखी
तक़ल्लुफ़ लखनऊ वालों में क्या है
*देर-आमेज़ी=देरी से मिलना

~ शान-उल-हक़ हक़्की


  Jul 03, 2015 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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