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Wednesday, July 8, 2015

जले तो जलाओ गोरी



जले तो जलाओ गोरी, पीत का अलाव गोरी
                 अभी न बुझाओ गोरी, अभी से बुझाओ ना।
पीत में बिजोग भी है, कामना का सोग भी है।
                  पीत बुरा रोग भी है, लगे तो लगाओ ना।
गेसुओं की नागिनों से, बैरिनों अभागिनों से
                  जोगिनों बिरागिनों से, खेलती ही जाओ ना।
आशिक़ों का हाल पूछो, करो तो ख़याल - पूछो
                  एक-दो सवाल पूछो, बात तो बढ़ाओ ना।

रात को उदास देखें, चाँद का निरास देखें
                  तुम्हें न जो पास देखें, आओ पास आओ ना।
रूप-रंग मान दे दें, जी का ये मकान दे दें
                  कहो तुम्हें जान दे दें, माँग लो लजाओ ना।
और भी हज़ार होंगे, जो कि दावेदार होंगे
                  आप पे निसार होंगे, कभी आज़माओ ना।
शे'र में 'नज़ीर' ठहरे, जोग में 'कबीर' ठहरे
                  कोई ये फ़क़ीर ठहरे, और जी लगाओ ना।

~ इब्ने इंशा

   Jul 8, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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