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Tuesday, July 28, 2015

की नहीं उम्र भर ख़ता जिसने

की नहीं उम्र भर ख़ता जिसने,
उसने तौहीने-ज़िन्दगी की है।



*तौहीने-ज़िन्दगी = ज़िन्दगी का अपमान

~ नरेश कुमार शाद

   Jul 28, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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