बीच पतझर के बसंती सृजन का उल्लास हूँ
बोल कुछ पाये नहीं उस दर्द का एहसास हूँ
भटकते फिरते हो घर से दूर मेरी खोज में,
प्यास से देखो ज़रा मैं तो तुम्हारे पास हूँ ।
Jul 02, 2015 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
बोल कुछ पाये नहीं उस दर्द का एहसास हूँ
भटकते फिरते हो घर से दूर मेरी खोज में,
प्यास से देखो ज़रा मैं तो तुम्हारे पास हूँ ।
~ रामदरश मिश्र
Jul 02, 2015 | e-kavya.blogspot.com
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