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Thursday, July 2, 2015

बीच पतझर के बसंती सृजन का

बीच पतझर के बसंती सृजन का उल्लास हूँ
बोल कुछ पाये नहीं उस दर्द का एहसास हूँ
भटकते फिरते हो घर से दूर मेरी खोज में,
प्यास से देखो ज़रा मैं तो तुम्हारे पास हूँ ।

~ रामदरश मिश्र

  Jul 02, 2015 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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