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Monday, July 13, 2015

हम शूल को भी फूल बना सकते हैं

हम शूल को भी फूल बना सकते हैं
प्रतिकूल को अनुकूल बना सकते हैं
हम मस्त वो माँझी हैं जो मँझधारों में
हर लहर को भी कूल बना सकते हैं।

*कूल=किनारा

~ उदयभानु हंस


   Jul 8, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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