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Thursday, June 2, 2016

बड़े प्यार से मिलना सबसे




बड़े प्यार से मिलना सबसे
दुनिया में इनसान रे
क्या जाने किस भेस में बाबा मिल जाए भगवान रे

कौन बड़ा है कौन है छोटा
ऊँचा कौन और नीचा
प्रेम के जल से सभी को सीचा
यह है प्रभू का बग़ीचा
मत खींचों तुम दीवारें
इनसानों के दरमियान रे
क्या जाने किस भेस में बाबा मिल जाए भगवान रे

तुम महंत जी खोज रहे
उन्हें मोती की लड़ियों में
कभी उन्हें ढूँढा क्या
ग़रीबों की अँतड़ियों में
दीन जनों के अँसुवन में
क्या कभी किया है स्नान रे
क्या जाने किस भेस में बाबा मिल जाए भगवान रे

क्या जाने कब श्याम मुरारी
आ जावे बन कर के भिखारी
लौट न जाए कभी द्वार से
बिना लिए कुछ दान रे
क्या जाने किस भेस में बाबा मिल जाए भगवान रे

~ भरत व्यास


May 30, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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