मख़्मूर अपने दिल में, तकब्बुर न लाइए,
दुनिया में हर उरूज का एक दिन ज़वाल है।
*मख़्मूर=नशे में चूर उन्मत्त; तकब्बुर=अभिमान; उरूज=बुलंदी; ज़वाल=पतन
May 30, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
दुनिया में हर उरूज का एक दिन ज़वाल है।
*मख़्मूर=नशे में चूर उन्मत्त; तकब्बुर=अभिमान; उरूज=बुलंदी; ज़वाल=पतन
मचलता होगा इन्हीं गालों पर शबाब कभी,
उबलती होगी इन्हीं आंखो से शराब कभी।
मगर अब इनमें वह पहली-सी कोई बात नहीं
जहाँ में आह किसी चीज की सबात नहीं।
*सबात=स्थायित्व
~ अख़्तर शीरानी
उबलती होगी इन्हीं आंखो से शराब कभी।
मगर अब इनमें वह पहली-सी कोई बात नहीं
जहाँ में आह किसी चीज की सबात नहीं।
*सबात=स्थायित्व
~ अख़्तर शीरानी
May 30, 2015|e-kavya.blogspot.com
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