Disable Copy Text

Thursday, June 2, 2016

मख़्मूर अपने दिल में

मख़्मूर अपने दिल में, तकब्बुर न लाइए,
दुनिया में हर उरूज का एक दिन ज़वाल है।

*मख़्मूर=नशे में चूर उन्मत्त; तकब्बुर=अभिमान; उरूज=बुलंदी; ज़वाल=पतन

मचलता होगा इन्हीं गालों पर शबाब कभी,
उबलती होगी इन्हीं आंखो से शराब कभी।

मगर अब इनमें वह पहली-सी कोई बात नहीं
जहाँ में आह किसी चीज की सबात नहीं।
*सबात=स्थायित्व

~ अख़्तर शीरानी

May 30, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment