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Thursday, June 2, 2016

दफ़्तरों में दर्द के शिक़वे-गिले होते नहीं

दफ़्तरों में दर्द के शिक़वे-गिले होते नहीं
मेज़ पर तय आँसुओं के मामले होते नहीं
फ़ाइलों में धड़कनों को बंद मत करिए कभी
काग़ज़ों पर ज़िंदगी के फ़ैसले होते नहीं

~ आशुतोष द्विवेदी

May 18, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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