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Thursday, August 4, 2016

हर नजर साधु नहीं है

हर नजर साधु नहीं है, हर बशर गांधी नहीं है
वस्त्र हर रेशम नहीं है, सूत हर खादी नहीं है
नीति को लेकर कसौटी मत कसो इंसान की
आदमी है आदमी, सोना नहीं, चांदी नहीं है।

*बशर=मनुष्य, आदमी

~ गोपाल दास नीरज


Jul 15, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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