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Thursday, August 4, 2016

खोंखियाते हैं, किंकियाते हैं



खोंखियाते हैं, किंकियाते हैं, घुन्‍नाते हैं
चुल्‍लु में उल्‍लू हो जाते हैं

मिनमिनाते हैं, कुड़कुड़ाते हैं
सो जाते हैं, बैठ जाते हैं, बुत्ता दे जाते हैं

झांय झांय करते है, रिरियाते हैं,
टांय टांय करते हैं, हिनहिनाते हैं
गरजते हैं, घिघियाते हैं
ठीक वक़्त पर चीं बोल जाते हैं

सभी लुजलुजे हैं, थुलथुल है, लिब लिब हैं,
पिलपिल हैं,
सबमें पोल है, सब में झोल है, सभी लुजलुजे हैं।

~ रघुवीर सहाय


 
Aug 02, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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