हर घड़ी तेरा तसव्वुर, हर नफ़स तेरा ख़याल,
इस तरह तो और भी तेरी कमी बढ़ जायेगी
*तसव्वुर=कल्पना; नफ़स=सांस
उसने सूरज के मुक़ाबिल रख दिए अपने चिराग़,
वो ये समझा इस तरह कुछ रौशनी बढ़ जायेगी
तू हमेशा मांगता रहता है क्यूँ ग़म से निजात
ग़म नहीं होंगे तो क्या तेरी ख़ुशी बढ़ जायेगी ?
क्या पता था रात भर यूँ जागना पड़ जायेगा
इक दिया बुझते ही इतनी तीरगी बढ़ जायेगी
*तीरगी=अँधेरा
~ भारत भूषण पंत
Aug 09, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
इस तरह तो और भी तेरी कमी बढ़ जायेगी
*तसव्वुर=कल्पना; नफ़स=सांस
उसने सूरज के मुक़ाबिल रख दिए अपने चिराग़,
वो ये समझा इस तरह कुछ रौशनी बढ़ जायेगी
तू हमेशा मांगता रहता है क्यूँ ग़म से निजात
ग़म नहीं होंगे तो क्या तेरी ख़ुशी बढ़ जायेगी ?
क्या पता था रात भर यूँ जागना पड़ जायेगा
इक दिया बुझते ही इतनी तीरगी बढ़ जायेगी
*तीरगी=अँधेरा
~ भारत भूषण पंत
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