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Thursday, August 4, 2016

दूती! बैठी हूँ सज कर मैं।

दूती! बैठी हूँ सज कर मैं।
ले चल शीघ्र मिलूं प्रियतम से,
धाम धार धन सब तज कर मैं।।
धन्य हुई हूँ इस धरती पर,
निज जीवनधन को भज कर मैं।
बस अब उनके अंक लगूँगी,
उनकी वीणा-सी बज कर मैं।।


~ मैथिलीशरण गुप्त


Aug 03, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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