दूती! बैठी हूँ सज कर मैं।
ले चल शीघ्र मिलूं प्रियतम से,
धाम धार धन सब तज कर मैं।।
धन्य हुई हूँ इस धरती पर,
निज जीवनधन को भज कर मैं।
बस अब उनके अंक लगूँगी,
उनकी वीणा-सी बज कर मैं।।
Aug 03, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
ले चल शीघ्र मिलूं प्रियतम से,
धाम धार धन सब तज कर मैं।।
धन्य हुई हूँ इस धरती पर,
निज जीवनधन को भज कर मैं।
बस अब उनके अंक लगूँगी,
उनकी वीणा-सी बज कर मैं।।
~ मैथिलीशरण गुप्त
Aug 03, 2015|e-kavya.blogspot.com
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