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Sunday, February 26, 2017

स्वर्ग से पतित सुर-सरिता को

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स्वर्ग से पतित सुर-सरिता को शीश धर
भाल पे बिठा लिया मयंक ये प्रमाण है ।

लोकहित में समस्त जगती का विष पिया
खल-बल को तृ्तीय नेत्र विद्यमान है ।

प्रेम वशीभूत भूतनाथ के भुजंग संग
नदिया तो गिरिजा गनेश के समान हैं ।

भोलानाथ महादेव औघड़ प्रसन्न हों तो
भूल जाते कौन भक्त, कौन भगवान हैं ।

~ उदयप्रताप सिंह


  Feb 24, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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