सजीले चाँद को ले कर लजीली रात आयी है।
नशीली रात आयी है।
बरसती चाँदनी चम चम,
थिरकती रागिनी छम छम,
लहरती रूप की बिजली, रजत बरसात आई है।
नशीली रात आयी है।
जले मधु रूप की बाती
दुल्हनिया रूप मदमाती
मिलन के मधुर सपनों की सजी बारात आयी है।
नशीली रात आयी है।
सजी हैं दूधिया राहें,
जगीं उन्मादिनी चाहें,
रही जो अब तलक मन में, अधर पर बात आई है।
नशीली रात आयी है।
~ चिरंजीत
Feb 12, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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