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जिस तट पर प्यास बुझाने से अपमान प्यार का होता हो‚
उस तट पर प्यास बुझाने से प्यासा मर जाना बेहतर है।
जब आंधी‚ नाव डुबो देने की
अपनी ज़िद पर अड़ जाए‚
हर एक लहर जब नागिन बनकर
डसने को फन फैलाए‚
ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं‚
पागल तूफानों को बढ़कर आवाज लगाना बेहतर है।
कांटे तो अपनी आदत के
अनुसार नुकीले होते हैं‚
कुछ फूल मगर कांटों से भी
ज्यादा जहरीले होते हैं‚
जिनको माली आंखें मीचे‚ मधु के बदले विष से सींचे‚
ऐसी डाली पर खिलने से पहले मुरझाना बेहतर है।
जो दिया उजाला दे न सके‚
तम के चरणों का दास रहे‚
अंधियारी रातों में सोये‚
दिन में सूरज के पास रहे‚
जो केवल धुंआं उगलता हो‚ सूरज पर कालिख मलता हो‚
ऐसे दीपक का जलने से पहले बुझ जाना बेहतर है।
~ बुद्धिसेन शर्मा
Feb 13, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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