पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
~ आग़ा शाएर क़ज़लबाश
Nov 10, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
~ आग़ा शाएर क़ज़लबाश
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