Disable Copy Text

Sunday, November 5, 2017

आपसी बातों को अख़बार न

Image may contain: 3 people, people smiling, people sitting, people eating, people standing and indoor

आपसी बातों को अख़बार नहीं होने दिया
हम ने ये कमरा हवा-दार नहीं होने दिया

बद-गुमानी को किया चाय पिला कर रुख़्सत
नाश्ते का भी तलबगार नहीं होने दिया
*बद-गुमानी= शंका, सन्देह

दिल के ज़ख़्मों की ख़बर होने न दी अश्कों को
ग़म का आँखों से सरोकार नहीं होने दिया

सख़्त लफ़्ज़ों में भी देती है मज़ा बात उस की
उस ने लहजे को दिल-आज़ार नहीं होने दिया
*दिल-आज़ार=दिल दुखाने वाला

रख दिए होंटों पे उँगली की तरह होंट उस ने
एक शिकवा भी नुमूदार नहीं होने दिया
*नुमूदार=अंकुरित, उगने देना

उस ने नादान हो, कह कर हमें उकसाया था
उम्र भर उस को समझदार नहीं होने दिया

चाहतें पाईं हैं 'मन्नान' वफ़ाओं के तुफ़ैल
जज़्बा-ए-इश्क़ को अय्यार नहीं होने दिया
*तुफ़ैल= बीच बिचाव; अय्यार=चालाक

~ मन्नान बिजनोरी


  Nov 4, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment