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Sunday, September 9, 2018

कब तलक ख़्वाबों से धोका खाओगी


कब तलक ख़्वाबों से धोका खाओगी
कब तलक स्कूल के बच्चों से दिल बहलाओगी
कब तलक मुन्ना से शादी के करोगी तज़्किरे
ख़्वाहिशों की आग में जलती रहोगी कब तलक
छुट्टियों में कब तलक हर साल दिल्ली जाओगी
कब तलक शादी के हर पैग़ाम को ठुकराओगी
चाय में पड़ता रहेगा और कितने दिन नमक
बंद कमरे में पढ़ोगी और कितने दिन ख़ुतूत
ये उदासी कब तलक
*तज़्किरे=चर्चा

कब तलक नज़्में लिखोगी
रोओगी यूँ रात की ख़ामोशियों में कब तलक
बाइबल में कब तलक ढूँडोगी ज़ख़्मों का इलाज
मुस्कुराहट में छुपाओगी कहाँ तक अपने ग़म
कब तलक पूछोगी टेलीफ़ोन पर मेरा मिज़ाज
फ़ैसला कर लो कि किस रस्ते पे चलना है तुम्हें
मेरी बाँहों में सिमटना है हमेशा के लिए
या हमेशा दर्द के शो'लों में जलना है तुम्हें
कब तलक ख़्वाबों से धोके खाओगी
ये उदासी कब तलक

~ कफ़ील आज़र अमरोहवी


  Sep 9, 2018 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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