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Tuesday, December 29, 2020

कब कहा मैं ने कि तुम चाहने वालों में रहो


कब कहा मैं ने कि तुम चाहने वालों में रहो
तुम ग़ज़ल हो तो ग़ज़ल बन के ख़यालों में रहो

हुस्न ऐसा है तुम्हारा कि नहीं जिस का जवाब
इस लिए जान-ए-वफ़ा तुम तो सवालों में रहो

छुप गया चाँद अँधेरा है भरी महफ़िल में
तुम मिरे दिल में उतर जाओ उजालों में रहो

अपनी ख़ुश्बू को फ़ज़ाओं में बिखर जाने दो
फूल बन जाओ महकते हुए बालों में रहो

आने जाने की कहीं तुम को ज़रूरत क्या है
शहर-ए-ख़ूबाँ में रहो मस्त ग़ज़ालों में रहो

उम्र-भर के लिए हो जाओ किसी के 'अख़्तर'
इश्क़ ऐसा करो दुनिया की मिसालों में रहो

~ अख़्तर आज़ाद

Dec 29, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
 

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