कब कहा मैं ने कि तुम चाहने वालों में रहो
तुम ग़ज़ल हो तो ग़ज़ल बन के ख़यालों में रहो
हुस्न ऐसा है तुम्हारा कि नहीं जिस का जवाब
इस लिए जान-ए-वफ़ा तुम तो सवालों में रहो
छुप गया चाँद अँधेरा है भरी महफ़िल में
तुम मिरे दिल में उतर जाओ उजालों में रहो
अपनी ख़ुश्बू को फ़ज़ाओं में बिखर जाने दो
फूल बन जाओ महकते हुए बालों में रहो
आने जाने की कहीं तुम को ज़रूरत क्या है
शहर-ए-ख़ूबाँ में रहो मस्त ग़ज़ालों में रहो
उम्र-भर के लिए हो जाओ किसी के 'अख़्तर'
इश्क़ ऐसा करो दुनिया की मिसालों में रहो
~ अख़्तर आज़ाद
Dec 29, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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