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Wednesday, May 11, 2016

यहाँ तो उम्र गुज़री है मौज-ओ

यहाँ तो उम्र गुज़री है मौज-ओ-तलातुम में,
वो कोई और होंगे सैर-ए-साहिल देखने वाले

*मौज-ओ-तलातुम=लहरों और तूफ़ानों; सैर-ए-साहिल=किनारे की सैर

~ असग़र गोंडवी

  May 5, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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