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माँ सुनाओ मुझे वो कहानी
जिसमें राजा ना हो, ना हो रानी
जो हमारी तुम्हारी कथा हो
जो सभी के हृदय की व्यथा हो
गंध जिसमें भरी हो धरा की
बात जिसमें ना हो अप्सरा की
हो ना परियाँ जहाँ आसमानी
जो किसी भी हृदय को हिला दे
आदमी आदमी को मिला दे
आग कुछ इस तरह की लगा दे
माधुरी आग में भी मिला दे
जो सुने हो चले पानी पानी
वो कहानी जो हँसना सिखा दे
पेट की भूख को जो भुला दे
जिसमें सच की भरी चाँदनी हो
जिसमें उम्मीद की रोशनी हो
जिसमें ना हो कहानी पुरानी
~ नन्दलाल पाठक
जिसमें राजा ना हो, ना हो रानी
जो हमारी तुम्हारी कथा हो
जो सभी के हृदय की व्यथा हो
गंध जिसमें भरी हो धरा की
बात जिसमें ना हो अप्सरा की
हो ना परियाँ जहाँ आसमानी
जो किसी भी हृदय को हिला दे
आदमी आदमी को मिला दे
आग कुछ इस तरह की लगा दे
माधुरी आग में भी मिला दे
जो सुने हो चले पानी पानी
वो कहानी जो हँसना सिखा दे
पेट की भूख को जो भुला दे
जिसमें सच की भरी चाँदनी हो
जिसमें उम्मीद की रोशनी हो
जिसमें ना हो कहानी पुरानी
~ नन्दलाल पाठक
May 8, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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