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Friday, December 30, 2016

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,

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आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप करते नहीं कोई यात्रा,
अगर आप पढ़ते नहीं कोई किताब,
अगर आप सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
अगर आप करते नहीं किसी की तारीफ़, 

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
जब आप मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
जब आप नहीं करने देते मदद अपनी,
न करते हैं मदद दूसरों की,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
अगर आप नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार ,
अगर आप नहीं पहनते हैं अलग अलग रंग,
या आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,
वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को,
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
अगर आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को,
अपने जीवन में कम से कम एक बार
किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की..

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं....

नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता "You start dying slowly – Pablo Neruda" का हिन्दी अनुवाद...


  Dec 23, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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