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Friday, December 9, 2016

मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा



मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
*हमनफ़स=मित्र; हमनवा=साथी; जाँ-ब-लब=मृतप्राय, मरणासन्न

मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी उसी रौशनी से है ज़िंदगी
मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे
*दाग़-ए-दिल=टूटे हुये दिल; चारा-गर=चिकित्सक

मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारा-गर
ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मेरा दर्द और बढ़ा न दे
*नवाज़िश-ए-मुख़्तसर=छोटी सी मेहरबानी

मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराए शो'लों का डर नहीं
मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे
*अज़्म=इरादा; आतिश-ए-गुल=फूल की आग

वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू अरे ओ 'शकील' कहाँ है तू
तिरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा न दे
*ख़ुम-ओ-सुबू=(शराब का) प्याला और सुराही; बज़्म=महफ़िल

~ शकील बँदायूनी


  Dec 8, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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