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Sunday, May 31, 2020

किस सम्त ले गईं मुझे इस दिल की धड़कनें


किस सम्त ले गईं मुझे इस दिल की धड़कनें
पीछे पुकारती रहीं मंज़िल की धड़कनें

गो तेरे इल्तिफ़ात के क़ाबिल नहीं मगर
मिलती हैं तेरे दिल से मिरे दिल की धड़कनें
*इल्तिफ़ात=तवज्जो

मख़मूर कर गया मुझे तेरा ख़िराम-ए-नाज़
नग़्मे जगा गईं तिरी पायल की धड़कनें
*मख़मूर=नशे में; ख़िराम-ए-नाज़=मोहक अदा में धीरे धीरे चलना

लहरों की धड़कनें भी न उन को जगा सकीं
किस दर्जा बे-नियाज़ हैं साहिल की धड़कनें
*बे-नियाज़=लापरवाह; साहिल=किनारा

वहशत में ढूँडता ही रहा क़ैस उम्र भर
गुम हो गईं बगूलों में महमिल की धड़कनें
*वहशत=उन्माद; बगूलों=चक्रवात; महमिल=काठी(ऊँट की)

लहरा रहा है तेरी निगाहों में इक पयाम
कुछ कह रही हैं साफ़ तिरे दिल की धड़कनें
*पयाम=संदेश

ये कौन चुपके चुपके उठा और चल दिया
'ख़ातिर' ये किस ने लूट लीं महफ़िल की धड़कनें

~ ख़ातिर ग़ज़नवी

May 31, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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